अब केसर की खेती (Saffron Farming) एक बेहतरीन और लाभदायक करियर विकल्प बनकर उभर रही है, क्योंकि युवा वर्ग पारंपरिक नौकरी के रास्ते से हटकर कुछ नया और आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। यह खासकर ग्रामीण युवा या खेती-किसानी में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक सुनहरा अवसर है।

युवाओं के लिए क्यों है यह बेहतर करियर ऑप्शन?
1) कम क्षेत्रों में अधिक लाभ:
केसर की खेती करने के लिए बहुत ज़मीन नहीं चाहिए। कम जमीन पर भी अच्छा पैसा मिल सकता है।
2) बाजार में बढ़ती मांग और बढ़ती कीमत :
भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में केसर की मांग पिछले कुछ वर्षो बढती चली आरही है। 1 किलो केसर की कीमत लाखों में है
3) सरकारी मदद :
कई राज्य सरकारें केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान और प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। इससे शुरुआत करना सरल है।
4) जैविक खेती (Organic farming) की ओर बढ़ता रुझान:
आज लोग प्राकृतिक, रासायनिक उत्पादों की ओर अधिक आकर्षित हैं। ऑर्गेनिक तरीके से केसर उगाकर युवाओं को विशिष्ट पहचान मिल सकती

शुरुआत कैसे करें?
1. स्थान का चुनाव:
केसर दोनों ठंडे और सूखे स्थानों पर अच्छा फलता-फूलता है। पहाड़ी या मैदानी क्षेत्रों में अच्छी जलनिकासी वाली जमीन उचित है।
2. बीज (कोरम) का प्रबन्ध:
केसर की खेती के लिए प्याज जैसे बल्बों को कोरम कहा जाता है।
3. खेती करने का समय:
भारत में अगस्त से सितंबर तक केसर की बुआई और फसल अक्टूबर से नवंबर तक होती है।
4. प्रशिक्षण प्राप्त करें:
कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र या यूट्यूब या ऑनलाइन कोर्स से जानकारी लेना फायदेमंद होगा।

कितनी कमाई हो सकती है?
1 कनाल (लगभग 500 वर्गमीटर) में केसर की खेती करने पर सही देखभाल और मौसम की स्थिति में 400 से 500 ग्राम केसर का उत्पादन हो सकता है। इसकी बाजार कीमत प्रति किलो ₹2 लाख से ₹3 लाख तक होती है।
कम जमीन पर लाखों की आमदनी संभव है। उत्कर्ष केसर की खेती न केवल एक फायदेमंद उद्यम है, बल्कि यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवा लोगों को प्रेरणा दे सकता है। यदि आप भी कुछ नया और लंबे समय तक चलने वाला करियर खोज रहे हैं, तो केसर की खेती एक सुनहरा मौका हो सकता है।




